घार मड़ोउनी
कोटें लोक तारा- उपरी ठुसाइल हथ । दुइयो बाटेक ओकिल आपन - आपन जधें बइसल हथ । अखराक आगू धाइर अदालइत के चपरासी डंड़ाइल हे । फंइसला सुनवइया में जे मोटा-मोटी लोक बइसल हथ ऊ सोभिनेक नाम हकइन- सेंठ रेवती परसाद, उनखर मनिजर धुरूब सिंघ, बिवेकेक बोहरिआ रचना हेन - तेन।
अखराक ओहाइर टानलाक बादें जज साहेब आइ के आपन जघें बइस - हथ । तकर बाद झगराक 'फायल' उनखर आगू तर राखल जा हइ । जज साहेब आपन चसमा पिंध के 'फायल' देख-हथ आर देखलाक बादें बजिक उठ हथ -
जज :
सेखर कुमार बरमा के अदालइतें आनल जाउक ! (एगो सिपाही सेखर के रस्सें बाइध के आनेहे आर आइन के कठघराक भीतरीं खड़ा कर देहे । एगो अरदली आपन हाथें 'भागवत' ले ले आवेहे आर ओकर में सेखर के हाँथ रखाइ कहेहे - )
अरदली : बइजका ! हामें जे कहब, सच कहब ! आर सच के सिबाय कोन्हों नाय कहब |
सेखर : (सेखरें तकरे बिछेहे ।)
जज : सेखर ! हामर जानती तोहें कसुरवार हा ! आगू दइब जाने ! मेंतुक तोहर जानती की ईटा सच हकइ जे कुछ दिन पेछ तोहर बोड़ भाय बिवेक कुमार बरमाक खुइन भइ गेल रहइ ?
सेखर : (चोंथाइल भाभें) सच हकइ !
जज : एकर माने एहटो सच हकइ जे तोहर बोड़ भायेक खुइन कोन्हों आन लोकें नांय, नीजे तोहें करल हा ! (सेखर मुँह लटकइले हे).
जज : सेखर ! हामें जे कोन्हों पुछ-हियो तकर जवाब देहक । कि आयां नीजे तोहें गोली मारल हा आपन बोड़ भाय के ?
(सेखर ताओ तइसने चुप हे)
उनखा कोंक देइख के सरकारी ओकिल सुरफुराहे)
सरकारी ओकिल : इयोर ओनर । तोहें सेखर से बेकारे कोन्हों पुछ- हक | देख - हक, कि नियर इनखर मुँह सटाइल हइन ? एकरे से फरिछ होव - हइ, जे ई पहिले से उसकुन करल हथ आर एक दिन खुनुस कइर के आपन बोड़ भाय से झगरा करल हथ आर जाइन - बुइझ के आपन भाय नियर धन के गोली माइर के मोरवल हथ । हामर जानती - तोहर अनजान ! जानाहा, आइझ इनखरे चलते इनखर भोजाय रांड़ भइ गेल ही । उनखर छोटे-छोटे गिदर-बुतरू इनखरे चलते मांझ डहरें रइह गेल हथ ! हामें निसाफ करवइया से एहे अरज कर हों जे अइसन आर एते दुइर तक बेंड़ाइल छंउड के बज्जर नियर सजाय होवेक चाही-ताके अइसन नीच करम करवइयइन के पिल्ही चमके' |
जज : (सेखर से) सेखर ! अब तोहर से आखरी पुछ-हियो तोहरा ई झमेलाक लेताइरें कोन्हों कहेके हो-?
(सेखर ताओ चूप हे )
स० ओ०: (फइर सनइक के ) तोहें इनखर से कोन्हो पुइछ के बेकार आपन संवय नास-हा। काहे कि सोभे गोवाह आर सोभे परमान से एहटे फुरछाहइ जे सेखरे आपन बोड़ भायेक खुनी लागथ । तकर मइधें जोदी सेखर ठीन बांचेक कोन्हो साबूत 'हइन तो देखवे पारथ !
सेखर : (पिनइक के) हाँ-हाँ ! हामर ठीन कोन्हों साबूत - परमान नांय हे । हाम्हीं खूनी लागों । आपन बोड़ भायेक खूनी ! हामें आपन हाथें मोरवल हों आपन बोड़ भाय के ! हामें खूनी लागों, हामें खूनी लागों (सेखर हेंसरे लागेहे)
( अबरीक धां सेखर के टान टनवइया ओकिल उठेहे)
बखसी : निसाफ देवइया से हामें द गो बात बइजके ले खोज हों।
जज : कहे पारा ! कहेक छुट हो - !
बखसी : मी लॉड ! हामें सरकारी ओकिल गुपता जी से ईटा पुछे पारी, जे खुइन भेलक तो भेलक कथी से-?
गुपता : तोहर कहेक माने की हको ?
बखसी : हामर कहेक माने एकदम फुरछाइल हइ गुपता जी ! हामें जाने खोज - हों, जे मुजरिमें आपन बोड़ भायेक खुइन कथिसे करलक?
गुपता : इयोर ओनर ! जब कि एफ0 आई0 आरें० फुरछायक लिखल हइ जे सेखर आपन बोड़ भायेक खुइन आपन निजेक बंदुक ले करल हथ आर खुइन करे घरी लोकें आया उनखा पकरलो हथिन । तकर बाघूँ अइसन फूस बात से खाली इनखर मनसुबा थिरायल पानिक आर हिटरेक हइन ।
बखसी : नांय गुपता जी ! हामर अइसन कखनो बिचार नांय हे । हामें तो हिंटाइल पानी टा के आरो थिरवे खोज हों । इयोर ओनर !! जब कि सभे दनेक साबूत परमान से एहटे फूरछा हइ जे सेखर कुमार बरमें आपन बोड़ भायेक खुइन करल हथ । तकर बाद हाम अदालइतें एगो अइसन जिनिस हाजिर करेल खोज हों, जे उपरेक सोभे टोवानेक काट करतक ।
जज : अदालत ऊ अनदेखवा जिनिस के हाजिर करेक आगियां दे हइ ?
बखसी : ( एगो मोटिवल कागज जज साहब के दइ के) ऊ जिनिस टा ई कागजें मोटिवल हइ सिरी मान !
जज : ( पुरीया खोइल के ) एकर में तो पिस्तोलेक गोली हइ ।
बखसी : हाँ सिरी मान ! आयां ईटा पिस्तोलेक गोली हकइ-आर ईटा ओहे गोली हकइ जेकर से बिवेक कुमार बरमा के मारल गेलइ । ई गोलिया उनखर पोस्ट मारटमेक सवयें उनखर घाव से कोइड़ के निकालल गेल हइ । तनी उनखर पोस्ट मारटम के बयान पइढ़ के देखल जाउक ! ( जज साहेब पोस्ट मारटम के बयान निरखलाक बादें)
जज : हाँ सच में ई गोलियाक देखलाक बादें तनी दोगधा बुझा हइ ! जब कि मुजरिमेक हाथें बंदुक हलइ तो फइर खुइन पिस्तोलेक गोली से कइसे भेलइ ? आर ई नियर ऊ पिस्तोल कहाँ हइ आर ओकरा के चलइलक ?
बखसी : मी लॉड ! एकर पोल हाम खोल-हियो । आब हामें अदालइत में एगो अइसन निठा गोवाह के साबूत - परमानेक संगे हाजिर कर-हियो जे सेखर के बंचवे खातिर खुभे हइ !
जज : के लागथ ऊ
बखसी : ऊ हकी बिराटेक बोहरिआ भावना देबी ! ( सइ सवञे भावनाक फाटल-पुसन लूगें आवन ।) ओकर खोंइछें कुछो मोटिवल बुझाइ । कठघठें ओकरो खड़ा कर देल जा हइ ।
अरदली : ('भागवत' में हाथ रखाय के) बइजका ! हामें जे कहब सच कहब आर सच के सिवाय कोन्हो नायं कहब |
( भावना ओहटे बइजक 5 ही).
जज : अब तोहें बतवा जे तोहें के लाघक आर तोहें हामर जानतिक बादें की की जान - हक ?
भावना : जज साहेब ! हामें-हामें तकदिरेक मारल एगो दुखी अउरत हकी । खइर, हामर फूटल तकदीर से तोहरा की लेना-देना । मेंतुक जहां तक ई खुइन - खराबिक बात आवेहे ईटा फूरछाइ के जाने खातिर तोहरा कुछ बछर पीछु जाय होतो । ऊ ठीन से हामरा बात उठबे होतक - जखन बिवेक आर सेखर दुइयो भाय परेम से रह हला। एक सवंय इखनिक घारें परेमेक बांसी बाज-हल । आर एहे परेम आगू चइल के कुचराहाक | आंखिक कांटा बइन गेलक ।...
( ओहाइर टानाहे )
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